लालची किसान की कहानी
एक बार एक लालची किसान से कहा गया वो जितनी जमीन पे चलेगा वह जमीन उसकी हो जाएगी शर्त इस बात की की सूरज डूबने से पहले उसे वापस आना होगा ज्यादा से ज्यादा जमीन पाने के लिए वह सूरज निकलने के पहले ही निकल पड़ा
वह बहुत ही तेजी के साथ चल रहा था ताकि वह अधिक से अधिक सम्प्पति
प्राप्त कर सके बहुत थकने के बाद भी वह रुका नहीं और चलता चला गया क्योकि दौलत कमाने का यह मौका वह छोड़ना नहीं चाहता था जब दिन ढलने वाला था तब उसे शर्त की याद आयी की उसे घर वापस भी पहुंचना है
वह बहुत ज्यादा घर से दूर निकल आया था अब वह वापस लौटने लगे ज्यो ज्यो सूरज डूबने का वक्त नजदीक आ रहा था वैसे वैसे वह तेजी से दौड़ रहा था फिर वह अपनी बर्दाश्त से अधिक तेजी से दौड़ने लगा सूरज डूबते डूबते वह अपनी जगह पहुंच तो गया
पर उसका दम वही पे ही निकल गया और वह मर गया और फिर उसको दफना दिया गया उसे दफ़न करने के लिए सिर्फ जमीन के एक टुकड़े की जरुरत पड़ी इस कहानी में एक सबक छिपा है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता किसान आमिर था की गरीब कोई भी लालची इंसान का यही हाल होता है
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